कल तक मिनी टाटा आज बना बिरान बस्ती ।।।।
कल तक मिनी टाटा आज बना बिरान बस्ती ।।।।
कभी मिनी टाटा के नाम से मशहुर डालमियानगर रोहतास उद्योग समूह आज अपने जीवन कि अंतिम साँसे गिन रहा है।......
लोकसभा या बिधानसभा कोई चुनाव ऐसा नहीं रहा जिसमे इस उद्योग कि बदहाली तथा पुनउद्धार का मुद्दा नहीं उठा राजीव गांधी से लेकर सोनिआ गांधी , राहुल गांधी तक और बी _पी सिंग से लेकर लालू प्रसाद तक सभी एक दूसरे कि नब्ज टटोलते रहे। एनडीए ,यु पी ये या कोई भी राजनितिक दल हो सभी के चुनावी वायदो में रोहतास उद्योग समूह छाया रहा......... पर सिर्फ और सिर्फ दिखावा मात्र रहा।
.......... आमलोगो के जज्बातो से
हमशा खेलने कि कोशिश कि गयी …स्थानीय लोगो का दर्द आज भी उनकी आँखों से छलक पड़ता है पीड़ा उन्हें आक्रोशित कर देती है..................
पुरे एशिया में कभी जाने जाना वाला यह रोहतास उद्योग समूह कभी गुलजार रहा किन्तु आज यह वीरान पड़ा है कभी इन वीरानो में चमन खिलते थे
हमशा खेलने कि कोशिश कि गयी …स्थानीय लोगो का दर्द आज भी उनकी आँखों से छलक पड़ता है पीड़ा उन्हें आक्रोशित कर देती है..................
पुरे एशिया में कभी जाने जाना वाला यह रोहतास उद्योग समूह कभी गुलजार रहा किन्तु आज यह वीरान पड़ा है कभी इन वीरानो में चमन खिलते थे
पर आज यहाँ सनाटा सा पहरा हुआ है यहाँ के लोगो के तन से कपडे और सर से मकान तक छीन गये है , लोग गन्दी बस्तियों में रहने , गंदे पानी तक पिने को मजबूर है खाली कॉलोनिया अपराध के अड्डे बन कर रह गये है
सेप्टेम्बर 2006 में तत्कालीन रेल मंत्री के आदेश पर रेलवे ने समापन
में गये रोहतास उद्योग समूह के 220 एकड़ औधोगिक हिस्से को 140 करोड़ रूपए में
खरीदा था। । कबाड़ के भाव में बिक रहे इस समूह को खरीदने के लिए दूसरी बड़ी
ने कम्पनी टेंडर में हिस्सा लिया था ……… लेकिन न्यालय ने रेलवे को पहली प्राथमिकता दी। …।
रेलवे ने यहाँ बोगी बैगन और कप्लर का कारखाना लगाने की घोषणा वर्ष २०१२ के रेल बजट में की थी किन्तु इस पर अब तक मंत्रालय द्वारा अमल नही किया जा सका
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